Facts About hanuman chalisa Revealed
Facts About hanuman chalisa Revealed
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युग सहस्त्र जोजन पर भानु का अर्थ क्या है? हनुमान चालीसा में सूर्य की दूरी और वैज्ञानिक तथ्यों का रहस्य
भावार्थ – भगवान् श्री रामचन्द्र जी के द्वार के रखवाले (द्वारपाल) आप ही हैं। आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में किसी का प्रवेश नहीं हो सकता (अर्थात् भगवान् राम की कृपा और भक्ति प्राप्त करने के लिये आपकी कृपा बहुत आवश्यक है) ।
Hanuman that has a Namaste (Anjali Mudra) posture The indicating or origin of your term "Hanuman" is unclear. From the Hindu pantheon, deities generally have a lot of synonymous names, Just about every dependant on some noble attribute, attribute, or reminder of the deed reached by that deity.
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
भावार्थ – श्री सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार आदि मुनिगण, ब्रह्मा आदि देवगण, नारद, सरस्वती, शेषनाग, यमराज, कुबेर तथा समस्त दिक्पाल भी जब आपका यश कहने में असमर्थ हैं तो फिर (सांसारिक) विद्वान् तथा कवि उसे कैसे कह सकते हैं? अर्थात् आपका यश अवर्णनीय है।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
Victory to Lord Hanuman, the ocean of knowledge and advantage. Victory on the Lord that is supreme One of the monkeys, illuminator from the 3 worlds.
hotaHotaHave / obtaining naNaWithout āgyāĀgyāAuthorization binuBinuNobody paisārePaisāreEnter / are available That means: You are definitely the gate keeper/guardian of Lord Rama’s doorway/court. With out your permission nobody can enter Rama’s abode.
व्याख्या – जन्म–मरण–यातना का अन्त अर्थात् भवबन्धन से छुटकारा परमात्म प्रभु ही करा सकते हैं। भगवान् श्री हनुमान जी के वश में हैं। अतः श्री हनुमान जी सम्पूर्ण संकट और पीड़ाओं को दूर करते हुए जन्म–मरण के बन्धन से मुक्त कराने में पूर्ण समर्थ हैं।
The Peshwa era rulers in 18th century metropolis of Pune furnished endowments to a lot more Hanuman temples than to temples of other deities for instance Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in existing time there are a lot more Hanuman temples in the town along with the district than of other deities.[118]
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥ hanuman chalisa तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
यहाँ सर्वसुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख से है जो श्री मारुतनन्दन के द्वारा ही मिल सकता है।
संकटमोचन अष्टक
व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।